Zaid ki fasal : दोस्तों जैसा कि आप जानते है। कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां मुख्यरूप से तीन ही फसलें उगाई जाती है। रबी की फसल,खरीफ की फसल और जायद की फसल। इनमें से आप रबी और खरीब की फसल से तो वाकिफ होंगे। लेकिन जायद की फसल क्या होती है। इसकी जानकारी आपको नही होगी। हम आज इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि आखिर जायद की फसल क्या होती है। और इसमें कौन कौन से फल आते है।
Zaid ki fasal kise kahte hai
जायद फसल में तेज गर्मी और शुद्ध हवाएं सहन करने की अच्छी क्षमता पाई जाती है। जायद फसलें रबी फसल और खरीफ फसल से ज्यादा तेज गर्मी और शुद्ध हवाओं को सहन कर सकती है। भारत में जायद की फसल मार्च और अप्रैल में बोई जाती है।
Zaid ki fasal kaun-kaun si hoti hai
आपको हम कुछ फसल बताने जा रहे है। जो जायद की श्रेणी में आती है।
Moongfali ki fasal
यह भारत की मुख्यता तिलहनी फसल है। जो भारत के कई राज्यों जैसे तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में सबसे अधिक उगाई जाती है। अच्छे जल निकास वाली भुर भूरी , दोमट या बुलई दोमट मिट्टी में मूंगफली की फसल मध्य जून से मध्य जुलाई तक बोई जाती है। मूंगफली की फसल लगभग 4 महीने में तैयार हो जाती है। मूंगफली की फसल की लिए सड़ी गोबर की खाद काफी फायदेमंद होती है। आपको बता दें कि मूंगफली की विभिन्न प्रकार की किस्में होती है। जैसे गिरनार 2, राज मूंगफली 3, गिरनार 5 अच्छी किस्मों की फसल मानी जाती है।
Udad ki fasal
यह एक उष्णकटिबंधीय फसल होती है। इसलिए इस फसल की बुआई के लिए आद्र वा गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। उड़द की खेती के लिए समुचित जल निकास वाली बुलई दोमट मिट्टी की जरूरत होती है। उड़द की फसल बसंत ऋतु के फरवरी मार्च माह में तथा खरीफ ऋतु के जून के अंतिम सफ्ताह या जुलाई के पहले सफ्ताह तक बो दिया जाता है। आपको बता दें कि प्रति हेक्टेयर मिश्रित फसल के लिए 15 से 20 किलो ग्राम उड़द की फसल बोई जाती है। और यह फसल लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती है।
Surajmukhi ki fasal
क्या आपको पता है कि भारत में पहली सूरजमुखी की फसल उत्तराखंड के पंत नगर में की गई थी। सूरजमुखी एक तिलहनी फसल है। जिसे खरीफ, रबी और जायद तीनो सीजन में उगाया जाता है। जिस स्थान पर पानी निकास का अच्छा प्रबंध होता है। वहां सूरजमुखी की अच्छी फसल होती है। सूरजमुखी की फसल को फरवरी के प्रथम सफ्ताह से लेकर फरवरी के मध्य तक बोई जाती है। इस फसल के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद बहुत ही लाभदायक होती है। यह फसल भारत में लगभग 15 लाख हेक्टेयर पर उगाई जाती है। जिससे 90 लाख टन का उत्पादन होता है।
Makka ki fasal
मक्के की फसल मुख्यता झारखंड, आंध्र प्रदेश,उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होती है। मक्का जब पककर तैयार हो जाता है तो उसे भुट्टा कहते हैं। जो खाने योग्य होता है। बाकी फसल को शेष मुर्गी और पशु आहार में दिया जाता है। आप मक्के की फसल को रबी, खरीफ और जायद तीनो मौसम में बो सकते है। आपको बता दें कि मक्के की खेती के लिए फरवरी से मार्च का महीना उचित माना जाता है।
Chana ki fasal
भारत में चने की खेती लगभग 7.54 मिलियन हेक्टेयर भूमि में की जाती है। जो कि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश,बिहार और महाराष्ट्र होती है। मध्य प्रदेश चने के उत्पादन के मामले में सबसे बड़ा राज्य है। दोमट मिट्टी के मटियार से चने की खेती होती है। भारत में चना की कई किस्में पाई जाती है जैसे इंदिरा चना, ग्वालियर चना 2, उज्जैन चना 34, जे जी 315 आदि। अगर चने की फसल अच्छी हुई है तो एक हेक्टेयर भूमि पर 20 से 25 कुंतल दाना तथा इतना ही भूसा प्राप्त होता है। सितंबर के आखिरी सफ्ताह और अक्टूबर के तीसरे सफ्ताह तक चने की बुआई उचित मानी गई है।
Kapas ki fasal
विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक भारत माना गया है। भारत में मई महीने में कपास की खेती की जाती है। कपास की खेती शुरुआती समय दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री होना चाहिए। जबकी रातें ठंडी होनी चाहिए। साथ ही कपास की खेती के लिए कम से कम 50 सेंटीमीटर की वर्षा जरूरी होती है। कपास की खेती के लिए सबसे उन्नति किस्म की खेती में बीटी को माना गया है। कपास में 50% टिंडे खिलने के बाद चुनाई करनी चाहिए जबकि कुछ समय बाद दूसरी चुनाई भी करनी चाहिए।
Kharbuja ki fasal
गर्मियों में जब खेत चार महीने के लिए खाली होता है। तो इस मौसम में किसान अपने खेत पर खरबूजा और तरबूज की खेती कर सकते है। क्योंकि गर्मियों में लोग खरबूजा और तरबूज ज्यादा खाना पसंद करते है। खरबूजे के बीज पर सरकार से 35% का अनुदान मिलता है। खरबूजा और तरबूज की खेती के लिए हल्की रेतीली, बुलई,दोमट मिट्टी की जरूरत होती है। यह एक हेक्टेयर में 200 से 300 कुंतल तक हो सकता है।
Moong ki fasal
मूंग की फसल को रबी, खरीफ और जायद तीनो मौसम में उगाया जाता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन के साथ साथ पोटेशियम, मैग्नीशियम और कॉपर होता है। डेंगू जैसी बीमारियों से मूंग की दाल बचाव करती है। मूंग ज्यादातर उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, केरल और उत्तरी पूर्वी पहाड़ी इलाकों में अधिक होती है।
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