Aloe Vera ki kheti kaise karen | एलोवेरा की खेती कैसे करें , कितना कमा सकते है मुनाफा
Aloe Vera ki kheti kaise karen : प्रकृति की दुनिया में हमने कई ऐसे पेड़ पौधे देखें है। जो मनुष्य के किसी ना किसी रूप में काम आते है। जैसे फलों के पेड़ जो खाने योग्य होते है। फूलों के पौधे जो सजावट से लेकर अन्य कामों में उपयोग होते है। वैसे ही कुछ पेड़ पौधे ऐसे होते है। जो औषधि के रूप में उपयोग किए जाते है। जिस प्रकार लोग फलों और फूलों के पौधों की खेती करते है। उसी प्रकार औषधि के पौधे की भी खेती होती है। आज हम एक ऐसे ही पौधे के बारे में आपको बताएंगे कि जिसका उपयोग खाने से लेकर औषधि तक के रूप में किया जाता है। जिसका नाम एलोवेरा है। एलोवेरा ऐसा पौधा है। जिसे आप सर्वगुण संपन्न भी कह सकते है। लोग इसे अलग अलग वजहों के लिए उपयोग करते है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में ये बताएंगे कि आप कैसे एलोवेरा की खेती कर सकते है। और कितना मुनाफा कमा सकते हैं। साथ ही इसके तमाम उपयोग के बारे में भी असोको बताएंगे।
Aloe vera kya hota hai
Aloe Vera ki kheti kaise karen: एलोवेरा एक रसीला पौधा होता है। इसके पत्ते में पानी की अधिक मात्रा होती है। जो मोटी और मांसल होती है। इसकी पत्तियां दो पोषक पदार्थ उत्पन्न करती है। जेल जो अन्य पोषक तत्वों में मिश्रित होती है। और रस जिसे एलो लेटेक्स भी कहते है। इसका उपयोग ज्यादातर औषधि के रूप में होता है।
Aloe vera ki kheti kaise karen
एलोवेरा को घृत कुमारी और ग्वारपाठा भी कहा जाता है। एलोवेरा पौधे की लंबाई 60 से 100 सेमी तक होती है। एलोवेरा की पत्तियां भालाकार,मोटी होती है। इसका रंग हरा होता है। एलोवेरा का फैलाओ जमीन से निकली शाखाओं द्वारा होता है। पत्ती की चौड़ाई 3 इंच और मोटाई आधी इंच होती है। एवोलेरा की खेती करने जा रहे है। तो आपको निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना होगा।
Aloe vera ki Kheti ki liye Jalwayu aur bhumi
एलोवेरा की खेती के लिए गर्म जलवायु सबसे उपयुक्त रहती है। साथ ही शुष्क और ऊष्ण जलवायु में भी इसकी खेती की जा सकती है। एलोवेरा की खेती के लिए सबसे न्यूनतम वर्षा का मौसम सबसे उपयुक्त रहता है। इसके पौधे अत्यधिक अत्यंत संवेदनशील होते है। इसलिए अधिक ठंड में इसकी बड़वार रुक जाती है। वहीं अगर एलोवेरा की खेती के लिए भूमि की बात की जाए तो इसके लिए रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन इसकी खेती दोमट और काली मिट्टी में भी की जाती है। अगर आप इस तरह की मिट्टी पर एलोवेरा लगा रहे हैं तो ध्यान रखें की पानी नही ठहरना चाहिए। साथ ही जमीन थोड़ी जल निकासी वाली हो। और एलोवेरा की खेती के मिट्टी का pH मान 8.5 होना चाहिए। इसकी खेती सिंचित और असिंचित दोनो तरह की भूमि में की जा सकती है।
Aloe vera ki Kheti ke liye Bhumi aur khad
जब भी वर्षा होने वाली हो उससे पहले लगभग 20 से 30 सेमी गहरी खेती की जुताई कर देनी चाहिए। इसके बाद पुरानी से पुरानी सड़े हुए गोबर की खाद खेतों में डालनी चाहिए। इसके बाद खेत की अंतिम जुताई कर देनी चाहिए। जिससे मिट्टी में सड़े हुए गोबर की खाद अच्छे से मिल जाए। इसके बाद पौधे की बिजाई करनी चाहिए। एलोवेरा को ठंड के मौसम को छोड़कर कभी भी लगा सकते है। आपको बता दें कि इसकी बुआई का समय जुलाई से अगस्त का महीना सबसे उत्तम माना गया है। अगर आप इस महीने पौधे को लगाएंगे तो इसकी ग्रोथ अधिक तेजी से होगी।
Aloe vera ki Kheti Karne ke liye Beej kitne daalne chahiye
एलोवेरा का पौधा जब 6 से 8 का हो जाए तो इसकी अच्छे से बिजाई करनी चाहिए। एलोवेरा की बिजाई 3 से 4 महीने पुराने पौधे जो कि 4 से 5 पत्तो की होती है। वो सबसे उपयुक्त रहते है। एक एकड़ के लिए 7 हजार से 10 हजार कंदो की जरूरत होती है। ये इस बात पर भी निर्भर करता है। कि इसकी कतार से कतार की दूरी कितनी है। साथ ही पौधे की संख्या भूमि की उर्वरक पर भी निर्भर करती है। इसके बाद आप समय समय पर पौधो को रोपना शुरू करें। बरसात में उसके बगल में निकले अन्य पौधों को हटा देना चाहिए। याद रहे बिजाई करने के बाद पौधे की निराई गुड़ाई लगातार करते रहना चाहिए। यह प्रक्रिया आप बिजाई के एक महीने बाद करें। इसकी फसल तैयार होने में लगभग 10 से 11 महीने लग जाते है। इसके बाद आपको इसकी पत्तियां काट लेनी चाहिए। आप एक साल में दो बार इसकी पत्तियां काट सकते है। एक एकड़ में करीब 20 किलो एलोवेरा की उपज होती है।
Aloe vera ke fayde
- शरीर पर पड़ने वाली झुर्रियां , त्वचा जल जाना, और खून को रोकने आदि के लिए एलोवेरा काफी उपयोगी है।
- एलोवेरा का रस पीने से कब्ज और पेट की आंतों में जलन गैस आदि समस्या दूर हो जाती है।
- पेट में कीड़ों को खत्म करने में यह काफी उपयोगी है।
- मुंह में निकले छालों को ठीक करता है।
- पाचन तंत्र को मजबूत करता है। और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
- एलोवेरा का रस पीने से मानसिक तनाव कम हो जाता है।
- जिन्हे मधुमेह की शिकायत हो उनके लिए एलोवेरा काफी उपयोगी है।
Aloe vera ke nuksan
- एलोवेरा के रस में इंथ्रोकविन नाम पदार्थ होता है, को रेचक होता है। अधिक सेवन में डायरिया बीमारी पैदा कर सकता है।
- कई लोगों को इसके रस से एलर्जी हो सकती है।
- गर्भ और स्तनपान वाली महिलाओं के लिए एलोवेरा का जूस पीना सख्त मना है।
- रोजाना सेवन करने से गुर्दे खराब हो सकते है।
Aloe vera ki kheti ke fayde aur munafa
आपको बता दें कि एलोवेरा को अधिक पानी की जरूरत नही होती है। अधिक पानी से यह सड़ने लगता है और पौधा सूख जाता है। अगर एलोवेरा खेती में लगने वाली लागत की बात की जाए तो एक हेक्टेयर में लगभग 27500 रुपए का खर्च आता है। जिसका कुल खर्च , मजदूरी , खाद , पानी मिलाकर 50 हजार हो जाता है। एक हेक्टेयर में लगभग 40 से 50 टन पत्तियां प्राप्त होती है। इन पत्तियों की कीमत 15 से 20 हजार रुपए टन होती है। इस व्यवसाय से लागत से करीब 6 गुना अधिक पैसा कमाया जा सकता है। आप आयुर्वेद औषधि और कॉस्मेटिक बनाने वाली कम्पनी को बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकते है।