Tourist Places in Varanasi in Hindi: किसी जन्नत से कम नहीं हैं वाराणसी की ये जगहें
Tourist Places in Varanasi in Hindi: दोस्तों वाराणसी में जितनी खूबसूरत काशी है। उससे कहीं ज्यादा यहां के आसपास की दुनिया है। पर ये जगहें वाराणसी से इतनी दूर है कि यहां घूमने के लिए एक दो दिन का अलग से समय निकालना पड़ेगा। अगर आप वाराणसी जा रहे हों तो एक खुद की प्राइवेट गाड़ी करके जाएं। नही तो थोड़ी थोड़ी जगह पर आपको लोकल साधन मिलना मुश्किल होगा। वाराणसी जाते समय सबसे पहले आपको मिर्जापुर मिलेगा। यहां सोनार का किला स्थित है। जो देखने में काफी आकर्षक लगता है। अगर आप इसके इतिहास से परिचित नही है तो आपको वहां गाइड मिल जायेगा। थोड़ी दूर आगे चलकर चंद्रप्रभा वन्यजीव अभ्यारण है । जो काफी सुंदर दिखता है। यहां छोटे बड़े सभी प्रकार के वन्य जीव देखने को मिल जायेंगे। यहीं पर एक राजदारी और देवदारी झरना है। जहां छोटे छोटे पहाड़ों से पानी आता है। अब आपको कुछ और ऐतिहासिक चीजों से रू ब रू करवाते है।
काशी विश्वनाथ मंदिर
बहुत से लोग इसे वाराणसी के सबसे प्रमुख मंदिर के रूप में देखते है। वहीं कुछ लोग इसे पूरे देश जा सबसे महत्वपूर्ण मंदिर के रूप में देखते है। इस मंदिर का इतिहास तीन हजार पांच सौ साल से भी पुराना है। काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। यहां प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। कई भक्तों की अपनी श्रद्धा ये है कि शिवलिंग की एक झलक आपकी आत्मा को शुद्ध कर देती है। और मनुष्य के जीवन को ज्ञान के पथ तक ले जाती है। अगर आप वाराणसी आए हैं तो घूमने की शुरुआत इसी जगह से करें।
वाराणसी का चंद्रकांता से जुड़ा है नाता
Tourist Places in Varanasi in Hindi: ऐतिहासिक रूप से वाराणसी के आसपास का क्षेत्र जितना समृद्ध है। भौगोलिक रूप से उतना ही मनोहारी और चुनौतीपूर्ण भी है। इस जगह को चंद्रकांता संतति की बेहद ही रहस्यमई दुनिया से जोड़कर देखा जाता है। क्योंकि देवकी नंदन खत्री ने इसी जगह को केंद्र बिंदु में रखकर चंद्रकांता की तिलिस्मी और जादुई दुनिया को रचा था। शायद यही वजह है कि इस क्षेत्र को चंद्रकांता सर्किट के रूप में विकसित करने का काम चल रहा है। यहीं से करीब दो घंटे की यात्रा करने के बाद आपको गंगा नदी के किनारे पर बसे चुनार का किला स्थित है। यहां की जगह, कला और बनावट वाकई में अद्भुत है। ऐसा बताया जाता है कि इस चुनार किले का इतिहास महाभारत काल से भी पुराना है। यहां चुनारगढ़ किले के निर्माण को लेकर बहुत सारे संशय है। कुछ ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि इसकी पहाड़ी पर महाभारत काल में सम्राट कालयवान की जेल थी ।फिर सम्राट विक्रमादित्य के बड़े भाई , जिन्हे हम सब राजा भ्रातहरि के नाम से जानते है। उन्होंने अपने राजपाठ का त्याग कर सन्यासी हो गए। और चुनारगढ़ आकर तपस्या करने लगे। जंगल बहुत घना था और जंगली जानवरों का खतरा अधिक था। इसलिए विक्रमादित्य ने उनकी रक्षा के लिए इस जगह का जीर्णोद्धार करा किले का भव्य निर्माण कराया। यहीं पर सोनवा मंडप और कुछ गहरी सुरंगे है। जो ना जाने कहां जाकर निलकती है। अगर आप कभी भी वाराणसी आएं तो इन जगहों पर जाना मत भूलें । नहीं तो आपने अपनी यात्रा में बहुत कुछ अधूरा छोड़ दिया। और आपकी यात्रा का कोई मतलब नही रहा।
बेहद ही अद्भुत और अटपटा सा है ये अभ्यारण्य
आपने कई सारे वन्यजीव अभयारण्य देखे होंगे। लेकिन वाराणसी का चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य अपनी अलग ही खूबसूरती के लिए जाना जाता है। आपको इस हरे से घने भरे जंगलों में सिर्फ जीव ही नहीं दिखेंगे बल्कि कुछ अनोखे अजीब से पेड़ पौधे भी नजर आयेंगे जिन्हे आपने इससे पहले कभी नहीं देखा होगा। साथ ही यहां आप अपना दीदार ऊंची ऊंची पहाड़ियों और खूबसूरत झरनों से कर सकते है। कहते है झरनों की पहाड़ियों में मानव सभ्यता का वर्षो से पुराना इतिहास दबा पड़ा है। यहां कदम कदम पर बेमिसाल पत्थर और बेहद ही अजीब वा डरावनी गुफाएं भी है। जिसमें हजारों साल पहले बनाई गई रॉक पेंटिंग भी देखी जा सकती है। आप यहां पर अनेकों प्रकार के जानवरों और पक्षियों का दीदार भी कर सकते है। सुबह से लेकर शाम तक चिड़ियों की चहचहाट इस वन्यजीव को और भी खूबसूरत बनाती है। थोड़ी दूर आगे चलकर वडांड जलप्रपात है। जहां से पास खड़े होकर पहाड़ियों को देखना अदभुत रोमांच पैदा करता है।
वाराणसी का रामनगर किला
तुलसी घाट से गंगा नदी के पार स्थित यह उस समय बनारस के राजा बलवंत सिंह के आदेश पर 1750 ईस्वी में बलूवा पत्थर से बनाया गया था। 1971 में सरकार द्वारा एक आधिकारिक राजा का पद समाप्त कर दिया गया था। लेकिन फिर भी आज पेलु भीरू सिंह को ही बनारस का राजा माना जाता है।
यहां कैसे पहुंचे
आप देश के किसी भी कोने में रहते हो यहां आने के लिए आपको ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। क्योंकि वाराणसी में हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनो है। साथ ही उत्तर प्रदेश की परिवहन बस सेवा की सुविधा दिन रात है। आप अगर लोकल के टूरिस्ट है तो आपके लिए तो कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन अगर आप किसी अन्य प्रदेश से से आ रहे है तो यहां वाराणसी में ठहरने की अच्छी सुविधा है आप होटल और धर्मशाला दोनो जगह ठहर सकते है। आप किसी गाइड को लेकर पूरे वाराणसी शहर का लुप्त उठा सकते है।