भारतीय इतिहास के टॉप 5 गद्दार, जिन्होंने भारत को बर्बाद करने में कोई कमी नही छोड़ी
भारतीय इतिहास के टॉप 5 गद्दार : दोस्तों आपने रामचरित मानस में एक चौपाई जरूर पढ़ी होगी। ” घर का भेदी लंका ढाए ,” रावण की हार की मुख्य वजह राम जी ने बल्कि उसका भाई विभीषण था। जिसने रावण के एक एक राज श्री राम को बताया था। दोस्तों अगर आपके घर का भेद सामने वाले को पता चल जाए तो आपकी आधी शक्ति ऐसे ही खत्म हो जाएगी। दोस्तों यह बात भी सच है कि प्राचीन समय में हमारा भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। लेकिन भारत के कुछ गद्दारों ने नमक हरामी कर अपने ही देश को कंगाल कर दिया। दोस्तों आज हम इस विडियो में भारतीय इतिहास के दस ऐसे गद्दारों के बारे में आपको बताएंगे जिन्होंने अगर गद्दारी नहीं कि होती तो हमारा देश आज भी सोने की चिड़िया होता और भारत दुनिया का सबसे ताकतवर देश होता।दोस्त आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में भारतीय इतिहास के पांच ऐसे गद्दारों के बारे में बताएंगे।।
Maan Singh
मान सिंह मुगल सेना का सेनापति था इसे भारत और राजपूतों का गद्दार भी कहा जाता है। मान सिंह बहुत वीर था। लेकिन उसने अपनी वीरता अकबरके सामने नहीं बल्कि भारत के वीरों को परास्त करने में दिखाई। मान सिंह को महाराणा प्रताप बिलकुल भी पसंद नहीं करते थे क्योंकि उसने अपनी बुआ का विवाह मुगलों के यहां कर दिया था। जिसका जिक्र जेम्स टोड अपनी किताब एनल्स एंड एंटीक्यूटिस ऑफ राजस्थान में करते है। इस किताब में इस बात का जिक्र है कि जब एक बार मान सिंह को महाराणा प्रताप ने भोज में बुलाया था तो वो खुद भोज पर शामिल नहीं हुए थे जिससे मान सिंह बहुत निराश हुए थे। तब महाराणा प्रताप ने मान सिंह पर कटाक्ष कर कहा कि तुम्हे अपने फूफा अकबर के साथ आना चाहिए था हल्दी घाटी के युद्ध में मान सिंह ने मुगलों की सेना का नेतृत्व किया था और प्रताप को पराजित किया था। जिसके बाद महाराणा प्रताप को जंगलों में रहना पड़ा था।
Jayachandra
जब जब भारतीय इतिहास के पन्नो पर राजा पृथ्वीराज चौहान का नाम लिया जाएगा। तब उनके नाम के साथ एक और नाम जुड़ता नजर आयेगा और वो नाम है जयचंद, किसी भी धोखेबाज ,देशद्रोही गद्दार में जयचंद का नाम तो मानो मुहावरे के रूप में प्रयोग किया जाता है अगर किसी को जयचंद बोल दिया जाए तो वो इसे गाली मानता है जयचंद कौन था जयचंद कन्नौज साम्राज्य का राजा था वो गहरवार राजवंश से था जिसे अब राठौर राजवंश के नाम से जाना जाता है। दरअसल पृथ्वीराज और जयचंद की पुरानी दुश्मनी थी दोनो के मध्य कई बार युद्ध भी हो चुके थे। पृथ्वीराज राज द्वारा संयोगिता से विवाह के बाद जयचंद के दामाद बन चुके थे। जयचंद के दिल में बदले की भावना उत्पन्न हो रही थी वो किसी भी तरह पृथ्वीराज का विनाश करना चाहता था इसके लिए भले ही उसे कुछ भी करना पड़े। अपने गुप्तचर से उसे पता चला की मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज से युद्ध का बदला लेना चाहता है जयचंद ने दिल्ली की सत्ता के लालच में मोहम्मद गौरी का साथ दिया। गौरी और जयचंद की सेना के आगे पृथ्वीराज को हार का सामना करना पड़ा। युद्ध के बाद गौरी ने जयचंद को मार दिया। जिसके बाद गौरी ने कन्नौज दिल्ली सहित कई जगहों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद भारत में इस्लामिक कट्टरता का दबदबा बढ़ना शुरू हो गया।
Mir Jafar
मुस्लिम शासकों के भारत में अधिकार के बाद अंग्रेजों ने भारत पर राज किया। अंग्रेजो का भारत में विजय का रास्ता मीर जाफर ने खोला था अंग्रेजो की विजय के बाद मीर जाफर बंगाल का नवाब बना था। इससे पहले बंगाल में सिराजुद्ददौला का अधिकार था। ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल में अवैध रूप से व्यापार कर रही थी। जिससे बंगाल के हितों को नुकसान हो रहा था। इसलिए सिराजुद्ददौला ने इसे रोकने के लिए प्लासी की लड़ाई लड़ी। प्लासी का युद्ध शुरू होने से पहले मीर जाफर, अमीर चंद और जगत सेठ को अंग्रेजो ने अपने साथ मिला लिया था। जिससे 1757 में प्लासी की लड़ाई में सिराजुद्ददौला को शिकस्त खानी पड़ी। और भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की नींव पड़ गई।
Fanindra Nath Ghosh
भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव ने देश की आजादी के लिए हंसते हंसते फांसी के फंदे में झूल गए थे भगत सिंह की कुर्बानी ने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई। उनके दिल में देश को आजाद कराने की ज्वाला प्रबल थी। उनका रास्ता अहिंसा का था क्रांति का था लेकिन उनका मकसद सिर्फ देश की आजादी था। भगत सिंह को जब फांसी की सजा सुनाई जा रही थी तो फणिंद्रनाथ घोष ने ही गवाही दी थी। फणिंद्र भगत सिंह के खास वफादार और भरोसेमंद दोस्त थे लेकिन एक डकैती के केस में बचने के लिए वे सरकारी गवाह बन गए। उसकी गवाही की वजह से ही भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को लाहौर असेंबली में बम फेंकने के कारण फांसी की सजा सुनाई गई थी।
Jayajirao Scindia
हिंदुस्तान के इस गद्दार और ग्वालियर के इस राजा ने रानी लक्ष्मीबाई के खिलाफ जाकर अंग्रेजो का साथ दिया था। उस समय ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राजा जयाजीराव सिंधिया का नाम बड़े ही सम्मान और आदर से लिया जाता था लेकिन ये वही जयाजीराव सिंधिया का जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का भरपूर साथ दिया था। उसने तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई के खिलाफ अपनी सेना का इस्तेमाल किया था। अंग्रेजो के प्रति इसकी वफादारी इतनी बढ़ गई थी कि अंग्रेजो ने इसे नाइट क्रैन कमांडर का खिताब से सम्मानित किया था।