अतीक अहमद को मिली उम्रकैद सजा, कोर्ट में फूट फूट कर रोया अतीक
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों से सुर्खियों में रहे उमेश पाल अपहरण कांड में आखिर उमेश के परिवार को बीते मंगलवार को इंसाफ मिल ही गया। तीन दिन पहले अतीक अहमद को यूपी पुलिस गुजरात के साबरमती जेल से यूपी लाई थी। जिसके बाद अतीक को प्रयागराज की एमपी एमएलए की विशेष कोर्ट ले जाया गया। जहां जज ने अतीक अहमद को दोषी पाते हुए अतीक के गुर्गे खान सौलत हनीफ, दिनेश पासी और अतीक अहमद को 364ए , 120 बी के तहत अजीवन कारावास के साथ अर्थ दंड की सजा सुनाई गई। अतीक अहमद के नाम 101 मुकदमों की लंबी फेहरिस्त है। उसके खिलाफ पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। और अब 44 साल बाद उसे सजा मिली है।
अतीक अहमद और उसके गुर्गों को कोर्ट में पेश करने के लिए सुबह से ही प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। कोर्ट रूम के बाहर वकीलों की जबरदस्त नारेबाजी के बीच माफिया अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ समेत अन्य आरोपियों को यूपी पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया। कोर्ट के अंदर तमाम गहमागहमी के बीच एसपी एमएलए कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ दिनेश चंद्र शुक्ला ने अपरहण मामले के दस आरोपियों को दोषी करार दिया। वहीं कोर्ट ने अतीक के भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत साथ आरोपितों को दोषमुक्त पाते हुए बरी कर दिया। इसके साथ ही इस मामले से जुड़े दो और आरोपी कोर्ट परिसर में हाजिर नहीं हुए इसलिए अदालत ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया कुछ दिन पहले मामले के एक आरोपी अंसार की मौत हो चुकी है।
उमेश पाल के वकील की तरफ से अधिकतम सजा की सिफारिश कर अतीक अहमद को फांसी की सजा की मांग की गई। जबकि अतीक के वकीलों की ओर से उसकी बीमारी , उम्र, वा पूर्व जनप्रतिनिधि होने का हवाला देकर कम सजा की गुजारिश की गई । दोनो पक्षों के वकीलों की बहस सुनकर जज ने जैसे ही अतीक को उम्रकैद की सजा सुनाई अतीक फूट फूट कर रोने लगा।
17 साल बाद मिले इंसाफ को नही देख सका उमेश पाल
आपको बता दें कि उमेश पाल अपहरण कांड साल 2006 में हुआ था। जबकि मुकदमा 2007 में लिखा गया। तब से उमेश पाल दिन रात पैरवी करते रहे। अब जब 17 साल बाद कोर्ट ने अतीक अहमद के खिलाफ फैसला सुनाया और उसे उम्र कैद की सजा मिली । यह सुनने और देखने के लिए उमेश जीवित नहीं रहे। इसी साल 24 फरवरी को अतीक के बेटे और उसके गुर्गों ने उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिसके बाद उमेश के परिजन अतीक को सजा देने के लिए यूपी सरकार से गुहार लगाई। उधर उमेश पाल की मां और पत्नी का कहना है कि अपराध और अपराधी के आगे ये सजा बहुत कम है। अतीक अहमद और उसके गुर्गों को फांसी से कम की सजा मुझे मंजूर नहीं है। अतीक अहमद का परिवार सिर्फ अपराधी ही नहीं हत्यारा भी है। मैं इन सब को मृत्युदंड दिलाकर ही दम लूंगी। भले ही इसके लिए मुझे सुप्रीम कोर्ट जाना पड़े। पति की लड़ाई कमजोर नहीं होने दूंगी। मैं आगे लड़ती रहूंगी।
अतीक बोला फैसले को चुनौती दूंगा
सजा मिलते ही जैसे ही अतीक अहमद कोर्ट परिसर से बाहर निकला तो उसने कहा उसे झूठे मामले में सजा सुनाई गई है। मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं। उमेश पाल का अपहरण और हत्या का मामला झूठा और मन गढंत है। मैं बेकसूर हूं, इस फैसले को मैं हाई कोर्ट में अपील करूंगा। उधर अतीक अहमद को नैनी सेंट्रल जेल से ले जाकर दोबारा साबरमती जेल ले जाया गया जबिक अशरफ को कड़ी सुरक्षा के बीच बरेली जेल भेजा गया ।
सजा के साथ खत्म हुआ अतीक का राजनीतिक करियर
अतीक अहमद को जैसे ही कोर्ट ने सजा सुनाई इसी के साथ अतीक के राजनीतिक करियर पर भी ग्रहण लग गया। सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फैसले के अनुसार अब वह अजीवन कारावास की सजा तक किसी भी प्रकार का चुनाव नही लड़ सकता। आपको बता दें कि अतीक ने पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र से साल 1989 में पहली बार कांग्रेस उम्मीदवार गोपालदास को 8102 मतों से हराकर राजनीतिक गलियारे में कदम रखा था।इसके बाद साल 1991 में भाजपा प्रत्याशी रामचंद्र जायसवाल को 15743 मतों से शिकस्त देकर फिर से अपनी हनक बरकरार रखी। 1993 में अतीक अहमद ने इसी सीट से भाजपा के तीरथराम कोहली को पराजित कर जीत की हैट्रिक लगाई थी। और फिर यूपी के पश्चिमी विधानसभा में अतीक का बोलबाला हो गया। अतीक की हनक और जीत की हैट्रिक को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने 1996 में उसे टिकट देकर प्रत्याशी बनाया। और अतीक जीत गया। इसके बाद 2002 में अतीक अपना दल से इसी सीट पर चुनाव लडा।जीतकर फिर विधानसभा पहुंचा। साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव ने सपा ने अतीक को फूलपुर के संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया और अतीक ने फिर जीत दर्ज की। मानो हार तो उसकी किस्मत का हिस्सा ही नही है। 2004 में हुए उपचुनाव में अतीक के भाई अशरफ को बसपा के राजू पाल से हार मिली। तो अतीक तिलमिला उठा और दो महीने बाद राजू पाल की हत्या कर दी गई।
यूपी के एडीजी ने क्या कहा
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को संभालने वाले एडीजी प्रशांत कुमार ने अतीक अहमद को सजा सुनाए जाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर कहा कि प्रदेश में माफिया और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। प्रदेश माफिया मुक्त होगा। सूबे में सिर्फ कानून का राज होगा। प्रदेश का प्रत्येक सिपाही माफियाओं को जड़ से मिटाने के लिए तत्पर प्रयास करता रहेगा। सरकार ने अतीक की लगभग 2827 करोड़ की अवैध संपत्ति को ध्वस्त कर दिया है। उधर सोशल मीडिया पर दिनभर एक हैश टैगट्रेंड करता रहा। #योगी है तो मुमकिन है।